Wednesday, August 21, 2019

कड़वा सच



कोई टोपी तो कोई अपनी पगड़ी बेच देता है..मिले अगर भाव अच्छा, जज भी कुर्सी बेच देता है,तवायफ फिर भी अच्छी, के वो सीमित है कोठे तक..पुलिस वाला तो चौराहे पर वर्दी बेच देता है,जला दी जाती है ससुराल में अक्सर वही बेटी..के जिस बेटी की खातिर बाप किडनी बेच देता है,कोई मासूम लड़की प्यार में कुर्बान है जिस पर..बनाकर वीडियो उसका, वो प्रेमी बेच देता है,ये कलयुग है, कोई भी चीज़ नामुमकिन नहीं इसमें..कली, फल फूल, पेड़ पौधे सब माली बेच देता है,किसी ने प्यार में दिल हारा तो क्यूँ हैरत है लोगों को..युद्धिष्ठिर तो जुए में अपनी पत्नी बेच देता है...!!अजीब है न हमारे देश का संविधान !'गीता' पर हाथ रखकर कसम खिलायी जाती है सच बोलने के लिये....मगर 'गीता' पढ़ाई नहीं जाती सच को जानने के लिये..!!यथार्थ गीता।धन से बेशक गरीब रहोपर दिल से रहना धनवानअक्सर झोपडी पे लिखा होता है "सुस्वागतम"और महल वाले लिखते है "कुत्ते से सावधान"...

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