1. 1जी टेक्नोलॉजी एनालॉग सिग्नल पर आधारित थी जिसमें कुछ खामियॉ भी थीं जैसे- मोबाइल में खराब आवाज आना, मोबाइल हैण्डसेट का बडा आकार और वजन। साथ ही इसमें डेटा की रफ्तार बहुत कम थी केवल 2.4 kbps, यानि अगर एक 4-5MB का गाना डाउनलोड करना हो तो भी घण्टों लग जायें।
2. इन खामियों को दूर किया 2जी टेक्नोलॉजी ने यानि वायरलैस मोबाइल फोन की दूसरी जनरेशन ने। यह तकनीक डिजीटल सिग्नल पर आधारित थी, इससे आप फोनकॉल के साथ-साथ इंटरनेट का आनंद भी आराम से ले सकते थे लेकिन 2जी की डाटा ट्रांसफर स्पीड 236 kbps है, जिससे पिक्चर मैसेज, टेक्स मैसेज और मल्टीमीडिया मैसेज बडें आराम से भेजे जा सकते हैं। लेकिन वीडियो कॉल, वीडियो कांफ्रेसिंग और मोबाइल टेलीविजन के मामले में 2जी सफल नहीं है।
3. 3जी की इसकी डाटा ट्रांसफर स्पीड 21 mbps थी, जो 2जी के मुकाबले बहुत ज्यादा है। इसनें मोबाइल यूजर्स के लिये वीडियो कॉल, वीडियो कांफ्रेसिंग और मोबाइल टेलीविजन के रास्ते खोल दिये। विज्ञापनों में भी 3जी के इसी फीचर को दिखाया जाता था, 3जी के आने के बाद मोबाइल और लैपटॉप के लिये स्पेशल ऑनलाइन टीवी एप्लीकेशन आने लगीं, साथ ही साथ फोन में फ्रंट फेसिंग कैमरा भी आने लगा वीडियो कॉल करने के लिये। जिससे आजकल आप सेल्फ़ी (Selfie) लेते हो। लेकिन याद रहे कि ये सेल्फ़ी वाला कैमरा 3जी की देन है।
4. आपकाे जानकर आश्चर्य होगा कि 2015 में आने वाली इस 4 जी टेक्नोलॉजी की शुरूआती साल 2000 में ही हो गयी थी। वैसे यह तकनीक 3जी के मुकाबले लगभग 5-10 गुना तेज है यानि इसमें इंटरनेट की स्पीड 100 Mbps है । यानि स्मार्टफोन पर बिना बफरिंग के टीवी देखना, विडियो कॉल करना, मूवी, सॉफ्टवेयर, गेम्स डाउनलोड करना बहुत आसान हो गया है
मैं हु आपका अपना दोस्त आज़ाद ज़ी
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